अकेला रहता हूँ, किसी से बात नहीं करता, अब मैं किसी पर भरोसा नहीं करता। दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ “मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता यह भी पढ़ें : गर्मियों की छुट्टियों पर शायरी, जो बच्चों को छुट्टियों का https://youtu.be/Lug0ffByUck